Page 40 - Ezine September - 13
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शुरू क 1 दकलोमीटर तक माल्टा ,पहाड़ी दनम्बू और अन्य फल § फू ल क पेड़ दमलते रहे~ खेतो म गोभी,
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मटर~ राजमा लगे थ और मदहलाय काम करते हुए दिखाई पड़ती थी, कु छ लोग पशुओ क दलए जंगल से पीठ
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पर पदत्तया लािे हुए आ रहे थ, छोटी उम्र की लड़दकया गायों को हांक कर जगल की तरफ ल जा रही थी,
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यही सब पहाड़ी जनजीिन िेखत हुए हम अचानक खले खेतो से कब जंगल
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म प्रिेश कर गए पता ही नहीं चला
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कु छ ही मीटर चलने पर हमने एक िने जंगल म प्रिेश दकया चारो तरफ बााँझ, बुरांश ,बांस क पेड़ थ ,जंगल
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िना होने क कारण उमस भी चरम पर थी ,ऊं चाई चढ़ने क कारण हााँफ तो पहले से ही रहे थ ,अब जल्दी ही
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पसीने से भी तर बतर हो गए थोड़ा आगे चलने पर एक अधेड़ कच्ची सी झोपडी क बहार खड़े दमले ,हम भी
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िही पसर गए, िही चाय,पराठे खाये और उनसे बतके सिाल करते रहे - यहााँ जानिर आते है ? अभी दकतना
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ि ू र है ?शाम तक पहुाँच जायगे ?
लगभग 3 दकलोमीटर क बाि हम पुग बुग्याल पहुंच | यही पहला पड़ाि है, यहााँ से ही सामने पहाड़ की चोटी
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पर प्रदसद्ध पनार बुग्याल पर पीला झंडा लहराता दिखता है |
कु छ िेर आराम क बाि हम दफर चल पड़े, पूरा रास्ता सुनसान जंगल स था, बहुत कम लोग आते -जाते नज़र
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आ रहे थ | रुकते थकते आस्खर शाम 3 बजे हम पनार बुग्याल पहुंच ही गए |अकल्पनीय सिरता ,चारों
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तरफ जंगल क बीच म एक दिशाल िास का मिान और सामने बफग से लिी दहमालय की चोदटया।
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यह जगह हमें इतनी पसंि आई की हमन आगे जाने का दिचार ही त्याग दिया, सामने ही िन दिभाग
(anti - poaching hut) की एक झोपडी दिखाई िी, नज़िीक पहुंचत ही 2 भोदटया कु त्तो ने हमारा स्वागत
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दकया | सामान रख, हम िापस बुग्याल म आ कर बैठ गए,थोड़ी िेर म राहुल नाम का लड़का हमार दलए
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चाय ल आया, राहुल से काफी िेर हम बात करते रहे और बुग्याल म ि ू र ि ू र तक उसी क साथ
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िूमत भी रहे |
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उसके चाचा यहााँ ये छानी चलाते है और दकसी तरह का दशकार यहााँ न हो इसका भी ध्यान रखत है |राहुल
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छु दियों म अपने चाचा की सहायता करने आया है, राहुल क अनुसार आज और यात्री आने मुस्िल हैं,
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हम शाम तक युही बुग्याल म िूमत रहे, सूरज की दकरण अब बफग लिी चोदटयों पर पड़ रही थी, पीली दसि ू री,
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E-ZINE | XIII EDITION
नारंगी, लाल, सनहेरी चोदटयों का पल -पल रंग बिल रहा था|
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