Page 15 - Ezine September - 13
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                                                   �जस �दन �वदा �पया सग होती
 तात क�ं म� एक कहानी ,
                                                           े
                                                   सबक �दल को य भर जाती .....
 होती ह� लड�कयां बड़ी सयानी......!
 बचपन म� जब भाई सग खल
 ं
 े
                                                  �फर ....
                                                   जात ही अब अपन घर म�
                                                          े
 जीत तो ब ल और हारे तो रो ल.....
 े
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                                                                                                                                                "
 �फर .......
                                                   नया रोल अपना अपनाती
                                                                                                                                     �जस �दन �वदा �पया सग होती
                                                                    तात क�ं म� एक कहानी ,
                                                  सास‐ननद, दवरानी‐जठानी
 हार भी इनक� जीत बन जाती,
                                                                    होती ह� लड�कयां बड़ी सयानी......!
                                                                                                                                      सबक �दल को य भर जाती .....
                                                                                                                                           े
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                                                           े
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 ख�शय  स न फली समाती........
                                                   सबस अपना मेल �बठाती.....
                                                                                                                                     �फर ....
                                                                    बचपन म� जब भाई सग खल
                                                                    जीत तो ब ल और हारे तो रो ल.....
                                                                                                                                          े
                                                                                                                                     जात ही अब अपन घर म�
                                                                                                                                      नया रोल अपना अपनाती
                                                                    �फर .......
                                                  इसी तरह अपन �ववक स
 अब......
                                                                                                                                     सास‐ननद, दवरानी‐जठानी
                                                                    हार भी इनक� जीत बन जाती,
                                                                                                                                           े
                                                                    ख�शय  स न फली समाती........
                                                                                                                                     सबस अपना मेल �बठाती.....
 घर स चली तो कॉलज जाती  े  े  " " होती ह� लड�कयां ब�त सयानी "         ु े  े  े  े  े े  े  े ू  े  ं  ं  े  े  े  े  " " होती ह� लड�कयां ब�त सयानी "  े  े  े  े  ं
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                                                  जहाँ भी जाती….ह� छा जाती
 े
 े
 ु
 बड़ी चतराई स दो त बनाती,                          तो                अब......                 VERSES &                                इसी तरह अपन �ववक स       े
                                                                                                TALES
                                                                                                                                                    े
                                                                                                                                                         े
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 चॉ�लट ‐ �प ज़ा जो भी खाती                         सही कहा था ना तात य म�न… �क                                                        जहाँ भी जाती….ह� छा जाती
                                                                                            े
                                                                                      े
                                                                         े
                                                                    घर स चली तो कॉलज जाती
                                                                                       े
                                                                                  े
                                                                            ु
                                                                    बड़ी चतराई स दो त बनाती,
 हाथ झाड़ क खड़ी हो जाती……                           होती ह� लड�कयां ब�त सयानी….!                                                      तो                    े   े
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                                                                                                                                     सही कहा था ना तात य म�न… �क
                                                                          े
                                                                    चॉ�लट ‐ �प ज़ा जो भी खाती
                                                                                े
                                                                    हाथ झाड़ क खड़ी हो जाती……                                          होती ह� लड�कयां ब�त सयानी….!
 �जद अपनी स सबको झकाती                                              �जद अपनी स सबको झकाती
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                                                                                 े
                                                                                           ु
                                                                                                            .
                                                                                                             .
                                                                                                           .
 पापा स नई  कट� मंगवाती                           " "होती ह� लड�कयां ब�त सयानी"….......!                                             " "होती ह� लड�कयां ब�त सयानी"….......! !
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                                                                                                              .
                                                                                                               !
                                                                                                          .
                                                                                                       .
                                                                                                    …
                                                                                                   "
                                                                                                         .
                                                                                   ू
                                                                            े
                                                                    पापा स नई  कट� मंगवाती
                                                                                                                                                                    …
                                                                                                                                                                       .
                                                                                                                                                                          .
                                                                                                                                                                  "
                                                                                                                                                                         .
                                                                                                                                                                        .
                                                                                                                                                                        .
                                                                                                                                                                      .
                                                                                                                                                                     .
                                                                           े
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 भाई स जब जब लाड लड़ाती                                              भाई स जब जब लाड लड़ाती
                                                                                     े
                                                                        े
                                                                    पॉकट मनी भी य पा जाती........
 े
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 पॉकट मनी भी य पा जाती........                                " " होती ह� लड�कयां ब�त सयानी "
                                                                                             "
                         ं
                                               े
                                         ट
                             े
                   दिल्ली इटरनशनल एयरपोट दलदिटड
                                                                                 े
                   Jitender.Kumar@gmrgroup.in                       समझदार होन पर ....
                                                                    घर म� माँ सग हाथ बटाती
                                                                                ं
                 तात क�ं म� एक कहानी ,                              पापा क� सदा रहती  लारी              ं
                                                                                   �जस �दन �वदा �पया सग होती
                                                                                   सबक �दल को य भर जाती .....
                                                                               े
 े
 समझदार होन पर ....  होती ह� लड�कयां बड़ी सयानी......!               भाभी क� य दो त      े बन जाती    े
                                                " " होती ह� लड�कयां ब�त सयानी "
                                                                              "
                                                                               े
                                                                    पर भाई प सदा रौब जताती…..
 ं
 घर म� माँ सग हाथ बटाती
                                                                                  �फर ....
                 बचपन म� जब भाई सग खल
 पापा क� सदा रहती  लारी  तात क�ं म� एक कहानी ,  े  ं  े  े  े       �जस �दन �वदा �पया सग होती         े
                                                                                          ं
                                                                                       े चंचलता से
                      े
                                                                            ु
                                                                    हंसी ‐ ख़शी और
                                                                                   जात ही अब अपन घर म�
                 जीत तो ब ल और हारे तो रो ल.....
                                                                         े
                                                                                      े
                                                                    सबक �दल को य भर जाती .....
   होती ह� लड�कयां बड़ी सयानी......!
 े
 भाभी क� य दो त बन जाती  �फर .......                                घर का हर कोना महकाती       े       े
                                                                                   नया रोल अपना अपनाती
                                                                                   सास‐ननद, दवरानी‐जठानी
                 हार भी इनक� जीत बन जाती,
 पर भाई प सदा रौब जताती…..  ख�शय  स न फली समाती........                            सबस अपना मेल �बठाती.....
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                                                                                        े
                                 ू
                            े
                    ु
                            े
   बचपन म� जब भाई सग खल       े                                     �फर ....
                        ं
               े
                                                                                       े
                                े
   जीत तो ब ल और हारे तो रो ल.....                                  जात ही अब अपन घर म�
                                                                        े
       े
   �फर .......                                                      नया रोल अपना अपनाती
                 अब......
                                                                                  इसी तरह अपन �ववक स
   हार भी इनक� जीत बन जाती,         े                               सास‐ननद, दवरानी‐जठानी         े    े    े
                                                                                े
                                                                                         े
                                                                                  जहाँ भी जाती….ह� छा जाती
                       े
                 घर स चली तो कॉलज जाती
     ु
                                                                         े
                  ू
             े
 हंसी ‐ ख़शी और चंचलता स े  ख�शय  स न फली समाती........              सबस अपना मेल �बठाती.....
 ु
                                                                                  तो
                         ु
                               े
                 बड़ी चतराई स दो त बनाती,
                       े
                                                                                                            े
                                                                                                        े
 घर का हर कोना महकाती  चॉ�लट ‐ �प ज़ा जो भी खाती                                    सही कहा था ना तात य म�न… �क
                                                                                   होती ह� लड�कयां ब�त सयानी….!
                             े
                                                                                 ,
                                                                             ु
                                                                    �जत � कमार, सहायक �बधक, सर�ा एव सतकता �वभाग, �सट� साइड ट�म ।
                                                                        े
   अब......      हाथ झाड़ क खड़ी हो जाती……                            इसी तरह अपन �ववक स       े ं  ,  ु      ं     �         ,
                                                                                   े
                                                                                        े
   घर स चली तो कॉलज जाती      े         ु                           जहाँ भी जाती….ह� छा जाती
                     े
        े
                 �जद अपनी स सबको झकाती
                े
           ु
   बड़ी चतराई स दो त      े बनाती,  ू                                तो             " "होती ह� लड�कयां ब�त सयानी"….......!
                 पापा स नई  कट� मंगवाती
                                                                                                                "
                                                                                                                     .
                                                                                                                    .
                                                                                                                      .
                                                                                                                      .
                                                                                                                   .
                                                                                                                 …
                                                                                                                        !
                                                                                                                   .
                                                                                                                       .
                 भाई स जब जब लाड लड़ाती
   चॉ�लट ‐ �प ज़ा जो     े भी खाती                                   सही कहा था ना तात य म�न… �क
        े
                                                                                         े
                                                                                             े
               े
                 पॉकट मनी भी य पा जाती........
   हाथ झाड़ क खड़ी     ेहो जाती……   े                                 होती ह� लड�कयां ब�त सयानी….!
                े
   �जद अपनी स सबको झकाती
                          ु
                                                                                                  …
                                                                                                 "
                                                                                                        .
                                                                                                       .
   पापा स नई  कट� मंगवाती                        E-ZINE | XIII EDITION  " "होती ह� लड�कयां ब�त सयानी"….......! !
                                                                                                        .
                                                                                                     .
                                                                                                    .
                                                                                                      .
                                                                                                      .
          े
                  ू
                 समझदार होन पर ....
   भाई स जब जब लाड लड़ाती       े
          े
                             ं
                 घर म� माँ सग हाथ बटाती
   पॉकट मनी भी य पा जाती........
       े
                    े
                 पापा क� सदा रहती  लारी
                            े
                 भाभी क� य दो त बन जाती
                 पर भाई प सदा रौब जताती…..
                            े
                े
   समझदार होन पर ....
               ं
   घर म� माँ सग हाथ बटाती
   पापा क� सदा रहती  लारी
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                          ु
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                                            े
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 �जत � कमार, सहायक �बधक, सर�ा एव ं  े सतक� ता �वभाग, �सट� साइड ट�म ।
                 हंसी ‐ ख़शी और चंचलता स
                                   ,
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   भाभी क� य दो त बन जाती
                 घर का हर कोना महकाती
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   पर भाई प सदा रौब जताती…..
   हंसी ‐ ख़शी और चंचलता स     े
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   घर का हर कोना महकाती
                                                               �
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                 �जत � कमार, सहायक �बधक, सर�ा एव सतकता �वभाग, �सट� साइड ट�म ।
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   �जत � कमार, सहायक �बधक, सर�ा एव सतकता �वभाग, �सट� साइड ट�म ।
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